Ram Navami and Ram Mandir - Quotes, Images & Posters
लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं
श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥
lokābhirāmaṃ raṇaraṅgadhīraṃ rājīvanetraṃ raghuvaṃśanātham।
kāruṇyarūpaṃ karuṇākaraṃ taṃ śrīrāmacandraṃ śaraṇaṃ prapadye॥
I take refuge in the feet of Sri Ramachandra, who is the delight of the world, who is courageous on the battlefield,
whose eyes are like blue lotuses, who is the Lord of the Raghu Dynasty, who is an embodiment of kindness and the treasure house of compassion.
मैं श्री रामचन्द्र के चरणों में शरण लेता हूँ, जो संसार का आनंद है, जो युद्ध के मैदान में साहसी हैं,
जिनकी आँखे नीले कमल के समान हैं, जो रघु वंश के स्वामी हैं और जो दया की मूर्ति तथा करुणा का भण्डार है।
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्।
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं
मुक्तिं च विन्दति॥
rāmeti rāmabhadreti rāmacandreti vā smaran।
naro na lipyate pāpairbhuktiṃ muktiṃ ca vindati॥
A person reminding oneself of Rāma, Rāmabhadra, or Rāmacandra,
is not affected by vice and finds prosperity and salvation.
राम, रामभद्र, या रामचन्द्र,
ऐसा स्मरण करते हुए मनुष्य पाप में लिप्त नहीं होता है और समृद्धि तथा मुक्ति प्राप्त करता है।
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विजेतव्या लङ्का चरणतरणीयो जलनिधिः
विपक्षः पौलस्त्यो रणभुवि सहायाश्च
कपयः।
तथाप्येको रामः सकलमवधीद्राक्षसकुलं
क्रियासिद्धिः सत्त्वे भवति महतां नोपकरणे॥
vijetavyā laṅkā caraṇataraṇīyo jalanidhiḥ
vipakṣaḥ paulastyo raṇabhuvi sahāyāśca kapayaḥ।
tathāpyeko rāmaḥ sakalamavadhīdrākṣasakulaṃ
kriyāsiddhiḥ sattve bhavati mahatāṃ nopakaraṇe॥
For winning over Laṅkā, Shree Ram had to walk across the sea. Ravana was powerful; and Shree Ram's army was of Vanaras (all odds were against Shree Ram). Inspite of that, Ram killed all the demons. Success of a person depends solely on their own capacities.
लंका पर विजय पाने के लिए श्री राम को समुद्र पार करना पड़ा। रावण शक्तिशाली था और श्री राम की सेना वानरों की थी (सभी बाधाएँ श्री राम के विरुद्ध थीं)। आपदाओं के विरुद्ध श्री राम ने सभी राक्षसों का संहार किया। व्यक्ति की सफलता अपने क्षमताओं पर निर्भर करती है।
लक्ष्मीश्चन्द्रादपेयाद्वा हिमवान्वा हिमं त्यजेत्।
अतीयात्सागरो वेलां न
प्रतिज्ञामहं पितुः॥
lakṣmīścandrādapeyādvā himavānvā himaṃ tyajet।
atīyātsāgaro velāṃ na pratijñāmahaṃ pituḥ॥
The Moon might lose its splendour, snow might abandon the Himavat mountain,
the ocean might overstep its shores, but I (Shri Ram) shall not forsake the promise made to my father.
चन्द्रमा का सौन्दर्य जा सकता है, हिमालय बर्फ़ त्याग सकता है,
और सागर अपनी सीमा लांघ सकता है, पर मैं पिता से की गयी प्रतिज्ञा कदापि नहीं तोड़ सकता।
आनृशंस्यमनुक्रोशः श्रुतं शीलं दमः शमः।
राघवं शोभयन्त्येते
षड्गुणाः पुरुषोत्तमम्॥
ānṛśaṃsyamanukrośaḥ śrutaṃ śīlaṃ damaḥ śamaḥ।
rāghavaṃ śobhayantyete ṣaḍguṇāḥ puruṣottamam॥
Non violence, compassion, learning, truthful nature, self-control
and tranquil – these six virtues adorn Rama, the best of men.
अहिंसा, दया, वेदशास्त्रों का ज्ञान, सुशीलता,
आत्मसंयम और शान्त चित्त, ये छः गुण राघव (मर्यादा पुरुषोत्तम) को शोभा देते हैं।
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विक्लबो वीर्यहीनो यस्य दैवमनुवर्तते ।
वीरास्सम्भावितात्मानो न
दैवं पर्युपासते ॥
Transliteration
viklabo vīryahīno yasya
daivamanu vartate
vīrāssambhā vitātmāno na daivaṃ paryupāsate
English translation
Those who
are timid and cowardly depend alone on destiny.
The valiant ones with self-respect do not care
for it.
Hindi translation
जो कायर हैं वे केवल भाग्य पर
निर्भर रहते हैं।
स्वाभिमानी तथा शूरवीर भाग्य की परवाह नहीं करते।
Source –
Valmiki’s Ramayana 2.23.16
On this Ram Navami, let’s imbibe this Shloka from Valmiki’s Ramayana and let us work toward our individual goal with more vigor, enthusiasm, and determination.
This Shloka is part of the conversation between Angada (son of Sugriva) and his army (Vanar Sena) when they were on their mission to find Sita. Angada motivates his army when they had started losing their enthusiasm as they were not able to find her despite the extensive search.
The Shloka in short means, relentless efforts will bring the fruits of pursuit. On taking up an activity it is to be continued without abandoning for reasons of personal disinterestedness or laxity.
अनिर्वेदम् च दाक्ष्यम् च मनसः च अपराजयम्।
कार्य
सिद्धि कराणि आहुः तस्मात् एतत् ब्रवीमि अहम्॥
Transliteration
anirvedam
ca dākṣyam ca manasaḥ ca aparājayam।
kārya siddhi karāṇi āhuḥ tasmāt etat bravīmi aham॥
English
translation
Insistency, ingenuity, and indomitability of heart are
required for achieving results. Therefore I say so!
Hindi
translation
मन की प्रफुल्लता, उत्साह और धैर्य कार्य की सिद्धि के साधन
कहें जाते है। इसीसे मैं तुम से यह केहता हूँ ।
Source
Valmiki’s Ramayana
4.49.6
5 Comments
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श्रीरामः शरणां समस्तजगतां
राम विना का गती।
रामेण प्रतिहन्यते कलिमल
रामाय कार्य नमः ॥
रामात् त्रस्यति कालभीमभुजगो
रामस्य सर्व विशे ।
रामे भत्तिरखण्डिता भवतु मे
राम त्वमेवाश्रयः॥
श्रीरामचन्द्रजी समस्त संसारको शरण देनेवाले हैं। श्रीरामके बिना दूसरी कौन-सी गति है। श्रीराम कलियुगके समस्त दोषोंको नष्ट कर देते हैं; अत: श्रीरामचन्द्रजीको नमस्कार करना चाहिये। श्रीरामसे कालरूपी भयंकर सर्प भी डरता है। जगत्का सब कुछ भगवान् श्रीरामके वशमें है। श्रीराममें मेरी अखण्ड भक्ति बनी रहे। हे राम ! आप ही मेरे आधार हैं॥
It is from
श्रीस्कन्दपुराणे उत्तरखण्डे नारदसनत्कुमारसंवादे रामायणमाहात्म्ये कल्पानुकीर्तनं नाम प्रथमोऽध्यायः
My Real Inspiration ❤
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